वक़्त बहुत हैं पर वक़्त बहुत हैं पर वक़्त बहुत है , रिश्तों की बारीकियाँ समझने का , पर अफ़सोस ,समझ कर निभा सकते नहीं- अभी। दोस्तों संग बैठे,गप्पे मारें, बहुत है मन , पर, द्वार सभी है बंद , न खोल सकते , न खुलवा सकते -अभी।। वक़्त… Read More » September 18, 2020 No Comments Hello world! Welcome to WordPress. This is your first post. Edit or delete it, then start writing! Read More » May 24, 2020 1 Comment
वक़्त बहुत हैं पर वक़्त बहुत हैं पर वक़्त बहुत है , रिश्तों की बारीकियाँ समझने का , पर अफ़सोस ,समझ कर निभा सकते नहीं- अभी। दोस्तों संग बैठे,गप्पे मारें, बहुत है मन , पर, द्वार सभी है बंद , न खोल सकते , न खुलवा सकते -अभी।। वक़्त… Read More » September 18, 2020 No Comments
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